पता नहीं क्यों आज आपके मन यह सवाल आया की, Cycle ka avishkar kab aur kisne kiya ? हम इस article में इसी के बारे में जानेंगे। वैसे तो साइकिल का यूज़ करने की कोई age लिमिट नहीं है। लेकिन आज कल लोग किसी विशिष्ट उम्र तक ही साइकिल का उपयोग करते है , क्योकि एक बार बाइक चलाना सीख गए तो हम साइकिल चलाना पसंद नहीं करते। इसके बाद भी कुछ लोग होते है जो एक्सरसाइज के लिए साइकिलिंग करना पसंद करते है।
वैसे तो इंजन वाले वाहन की वजह से cycle का उपयोग कम हो रहा है, क्योंकि साइकिल चलाने के लिए शारीरिक परिश्रम की जरूरत होती है। लेकिन फिर भी आज के समय में कई स्कूल, कॉलेज, ट्यूशन क्लास जाने के लिए स्टूडेंट्स साइकिल का उपयोग करते है। साइकिल का उपयोग ज्यादा तर 3 से 4 किलोमीटर travel करने के लिए होता है ।
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Cycle का आविष्कार किसने किया |
cycle ka avishkar kisne kiya
आपको जानकर हैरानी होगी की सबसे पहली जो cycle थी, 206 साल पहले पूरी तरह से लकड़ी से बनाई गई थी जिसके पहिए भी लकड़ी के थे और जिसका वजन करीब 23 किलो तक था। इस साइकिल का आविष्कार Karl Von Drais ने 1817 में जर्मन देश में किया था, जिसे swift walker नाम दिया गया।
Karl Von Drais द्वारा बनाई गई दुनिया की सबसे पहली साइकिल बिना पैडल की थी जिसे चलाने के लिए साइकिल पर बैठकर पैरों से धक्का देना पड़ता था। फिर भी इस साइकिल से 1 घंटे में 7 किलोमीटर तक का रास्ता तय कर सकते थे।
किसी भी आविष्कार के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है, चलिए जानते साइकिल के आविष्कार कैसे हुआ था ?1815 में इंडोनेशिया के एक ज्वालामुखी में बहुत बड़ा विस्फोट हुआ। इसकी वजह से उत्तर गोलार्ध की देशों में भारी नुकसान हुआ, बहुत सी फसलें खराब हुई जिसकी वजह पालतू जानवर भूख के मारे मरने लगे।
उस जमाने में ज्यादातर पालतू जानवरों का उपयोग वाहन के रूप में और सामान को यातायात (transport) करने में किया जाता था। भूख के कारण पालतू जानवर मरने की वजह से इस काम में रुकावट आ गई, इसी प्रॉब्लम के सोलुशन के लिए cycle का आविष्कार किया गया।
आज की ज़माने की मॉडर्न cycle किसने बनाई | ( cycle ka avishkar kisne kiya tha)
अभी हमने जाना की सबसे पहली cycle लकड़ी से बनी थी जिसे चलाने के लिए पेडल नहीं था, बल्कि उसे ढक्का देना पड़ता था। अब जानेंगे की पेडल वाली साइकिल किसने बनाई थी, जिसे हम आज के ज़माने यूज़ करते है।
Pierre Lallement फ़्रांस के एक मकैनिक थे, बिना पेडल वाली साइकिल से ट्रेवल करना बहुत ही कठिन और परिश्रम भरा काम है, यह Pierre Lallement के ध्यान में आ गया तो उन्होंने 1863 में पहली पैडल वाली cycle बनाई। हलाकि यह साइकिल भी लकड़ी से ही बनी हुई थी सिर्फ पैडल ही धातु के थे और इसके आगे के पहिए को पैडल लगाया गया था जिसमे।
इसके बाद आज के ज़माने की लोहे से बनी मॉडर्न cycle 1885 में जॉन कैंप द्वारा बनाई गई थी, जिसमे पैडल साइकिल के दोनों टायर के बिच में लगाई गई। पैडल को पिछले पहिए से एक चैन के साथ जोड़ा गया, जिसकी वजह से साइकिल को चलाना बहुत आसान होगया।
भारत में सबसे पहले cycle कब आई थी।
भारत देश में साइकिल बनाने से पहले विदेश से इम्पोर्ट की जाती थी, लेकिन 1942 में भारत में सबसे पहली साइकिल बनाई गई थी। भारत देश की सबसे पहली Cycle हिंद साइकिल कंपनी ने बनाई गई थी।
इसका मतलब भारत में साइकिल कंपनी 70 साल से अधिक पुरानी है। हिंद साइकिल कंपनी सबसे पहले मुंबई में स्थित थी, लेकिन बाद में इस कंपनी की शाखा अलग अलग शहरों में बढ़ी गई।
Cycle का भविष्य क्या है ?
हमने साइकिल का इतिहास क्या है, यह तो जाना लिए अब हम जानेंगे की साइकिल का भविष्य क्या है।
क्योंकि हो सकता है की आपको यह लगे की बाइक और इंजन वाले वाहनों की वजह से साइकिल का यूज़ एक दिन इस दुनिया से बंद हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं है।
आज के समय में पूरी दुनिया में साइकिल मार्केट की कीमत 63.36 बिलियन USD से अधिक है और ऐसा मानना है कि यह कीमत 2030 तक 119.29 USD इतनी हो जाएगी। क्योंकि cycle का उपयोग सिर्फ ट्रैवलिंग और ट्रांसपोर्ट के लिए नहीं किया जाता, स्पोर्ट के लिए, एक्सरसाइज के लिए भी किया जाता। इसके अलावा साइकिल कम अंतर पर ट्रैफिक से ट्रैवल करने के लिए भी फायदेमंद होती है।
पहले तो साइकिल को चलाने के लिए पैंडल का उपयोग किया जाता था, लेकिन अब इलेक्ट्रिक साइकिल भी आ गई है। जिसकी वजह से साइकिल चलाने के लिए कम शारीरिक श्रम लगता है और फ़ास्ट स्पीड में हम किसी भी जगह पर पोहोच सकते है। इलेक्ट्रिक साइकिल को पेट्रोल या किसी भी तरह की इंधन की जरूरत नहीं होती, जिससे ईंधन खर्च बच जाता है, और वायु प्रदूषण भी नहीं होता।
लेकिन फिर भी इलेक्ट्रिक साइकिल का उपयोग कम किया जाता है, क्योंकि एक इलेक्ट्रिक साइकिल की कीमत 30 हजार से अधिक होती है। जो की सामान्य इंसान के बजट के बाहर है और इंधन वाले वाहनों के लिए जैसे पेट्रोल पंप होते है वैसे ही चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध नहीं है। जगह जगह पर चार्जिंग स्टेशन न होने के कारण इलेक्ट्रिक साइकिल से दूर तक ट्रेवल करना संभव नहीं है।
लेकिन भविष्य में प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए इलेक्ट्रिक साइकिल का यूज़ जरूर बढ़ेगा। जिसके लिए जगह जगह पर चार्जिंग स्टेशन भी खोले जाएंगे।
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FAQ : Cycle ka avishkar kisne kiya tha
Cycle को हिंदी में क्या कहते है ?
cycle को हिंदी में चक्र कहते है।
Cycle का यूज़ फायदा क्या है ?
साइकिल यूज़ करने से फिटनेस अच्छी रहती है, वायु प्रदुषण नहीं होता, ट्रैफिक में साइकिल से ट्रेवल करना आसान होता है, किसी भी प्रकार के इंधन की जरूरत नहीं है।
साइकिल के रिंग में स्पोक क्यों होते है ?
साइकिल के वजन को कंट्रोल करने के लिए रिंग में स्पोक का यूज़ होता है।
साइकिल के टायर रबर के क्यों होते है ?
लोहे के मुकाबले रबर को गोल आकार देना बहुत आसान होता है, रबर के टायर जमीन को पकड़ के रहते है और रबर का टायर साइकिल को आसानी से गति दे सकता है।
साइकिल की स्पीड कितनी होती है ?
साइकिल की स्पीड 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।
साइकिल को दो पहिए ही क्यों होते है ?
ऐसा नहीं है की साइकिल 2 पहिए की ही होती है, कुछ साइकिल 3 और कुछ 4 पहिए की भी होती है, यह लोगों के जरूत के अनुसार डिज़ाइन की जाती है। लेकिन आम तौर पर साइकिल को दो पहिए ही होते है, क्योंकि यह परफेक्ट डिज़ाइन होती है और चलाने को आरामदायक होती है।
इलेक्ट्रिक साइकिल की कीमत कितनी होती है ?
इंडिया एक इलेक्ट्रिक साइकिल की कीमत कम से कम 30 हजार है।
सारांश :
आज हमने साइकिल के इतिहास के बारे में पढ़ा cycle ka avishkar kisne kiya tha, उम्मीद है की आपकी साइकल का आविष्कार किसने किया यह जानकारी समझ आगई होगी। इस जानकारी को शेयर जरूर करें।
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